अमृतलाल वेगड़ को साहित्य, कला और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए ‘शिखर सम्मान’, ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’, ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’ व ‘विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान’ आदि से सम्मानित किया जा चुका हैं। बता दें कि अमृतलाल वेगड़ और उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही upi और हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी अमृतलाल वेगड़ का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
अमृतलाल वेगड़ गुजराती तथा हिंदी भाषा के विख्यात साहित्यकार और जाने-माने चित्रकार थे। साथ ही वह शिक्षक, समाजसेवी और पर्यावरणविद् सहित कई प्रतिभाओं के धनी रहे हैं।
उन्होंने नर्मदा परिक्रमा (Narmada Yatra) दो बार पूरी की है। अमृतलाल वेगड़ ने नर्मदा पर चार किताबें लिखीं हैं- ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा’, ‘अमृतस्य नर्मदा’, ‘तीरे-तीरे नर्मदा’ और ‘नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो’। इनमें ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा’ काफी प्रसिद्ध कृति है।
प्रसिद्ध चित्रकार, साहित्यकार और नर्मदा पुत्र के नाम से लोकप्रिय अमृतलाल बेगड़ का जबलपुर में निधन हो गया. उन्होंने नर्मदा की 4 हज़ार किमी की पदयात्रा की थी.
उन्होंने जबलपुर में आख़िरी सांस ली. वो काफी समय से बीमार थे और कुछ दिन से वेंटिलेटर पर थे.