रवींद्रनाथ टैगोर एक ऐसे शख्स थे, जिनकी विशेषज्ञता कई विषय क्षेत्रों तक फैली हुई थी।
उन्होंने एक कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार के रूप में काम किया।
उन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में बंगाली साहित्य और संगीत के साथ-साथ भारतीय कला को फिर जिंदा करने का काम किया
रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज 163वीं जयंती मनाई जा रही है। टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनको ‘नाइट हुड’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था, लकिन उन्होंने इस वजह से उस सम्मान को वापस लौटा दिया था।
रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। साल 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था। 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले नॉन-यूरोपियन और पहले भारतीय थे।
रवीन्द्रनाथ टैगोर को’गुरुदेव’, ‘कबीगुरु’ और ‘बिस्वकाबी’ जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया है।
टैगोर के नाम एक एतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज है,
जिसके मुतबिक उन्हें दो देशों के राष्ट्रगान लिखने का अनूठा गौरव प्राप्त है
रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें “गुरुदेव” और “बंगाल के कवि” के नाम से भी जाना जाता है, का 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में निधन हो गया था, 80 वर्ष की आयु में।